तेरी आवाज है कि सूफी का कोई नग्मा है, जिसे सुनूँ तो सुकूँ जन्नतों सा मिलता है। - Sufi Shayari

तेरी आवाज है कि सूफी का कोई नग्मा है, जिसे सुनूँ तो सुकूँ जन्नतों सा मिलता है।

Sufi Shayari