कश्तियाँ सब की किनारे पे पहुँच जाती हैं , नाख़ुदा जिन का नहीं उन का ख़ुदा होता है - Sufi Shayari

कश्तियाँ सब की किनारे पे पहुँच जाती हैं , नाख़ुदा जिन का नहीं उन का ख़ुदा होता है

Sufi Shayari