कैसे मान लिया तुम अकेले हो दूर हूँ तुमसे यह मजबूरी है मेरी पुकारो अगर शिद्दत से मुझको चला आऊँगा मैं राह में तेरी - Akelapan Shayari

कैसे मान लिया तुम अकेले हो दूर हूँ तुमसे यह मजबूरी है मेरी पुकारो अगर शिद्दत से मुझको चला आऊँगा मैं राह में तेरी

Akelapan Shayari