ना कर झूठी तारीफ़ अपने शहर की इस क़दर के मैं भी गाँव छोड़ आऊँ और भटकूँ दर बदर ! - Kadar Shayari

ना कर झूठी तारीफ़ अपने शहर की इस क़दर के मैं भी गाँव छोड़ आऊँ और भटकूँ दर बदर !

Kadar Shayari