वही ख़्वाब-ख़्वाब हैं रास्ते वही इंतज़ार सी शाम है ये सफर है मेरे इश्क़ काएन दयार है न क़याम है !

वही ख़्वाब-ख़्वाब हैं रास्ते वही इंतज़ार सी शाम है ये सफर है मेरे इश्क़ काएन दयार है न क़याम है !

Shaam Shayari

हम दुनिया से जब तंग आया करते हैं, अपने साथ इक शाम मनाया करते हैं.

हम दुनिया से जब तंग आया करते हैं, अपने साथ इक शाम मनाया करते हैं.

शाम से आंख में नमी सी है आज फिर आपकी कमी सी है !

शाम से आंख में नमी सी है आज फिर आपकी कमी सी है !

तुम्हारी जुल्फ के साये में शाम कर लूँगा, सफ़र इस उम्र का पल में तमाम कर लूँगा।

तुम्हारी जुल्फ के साये में शाम कर लूँगा, सफ़र इस उम्र का पल में तमाम कर लूँगा।

रात सारी तड़पते रहेंगे हम अब, आज फिर ख़त तेरे पढ़ लिए शाम को.

रात सारी तड़पते रहेंगे हम अब, आज फिर ख़त तेरे पढ़ लिए शाम को.

जिन्दगी को खुश रहकर जिओ रोज शाम सिर्फ सूरज ही नहीं ढलता अनमोल जिन्दगी भी ढलती है!

जिन्दगी को खुश रहकर जिओ रोज शाम सिर्फ सूरज ही नहीं ढलता अनमोल जिन्दगी भी ढलती है!

शाम तक सुबह की नज़रों से उतर जाते हैं, इतने समझौतों पे जीते हैं कि मर जाते हैं।

शाम तक सुबह की नज़रों से उतर जाते हैं, इतने समझौतों पे जीते हैं कि मर जाते हैं।

उसने पूछा कि कौनसा तोहफा है मनपसंद, मैंने कहा.. वो शाम जो अब तक उधार है.

उसने पूछा कि कौनसा तोहफा है मनपसंद, मैंने कहा.. वो शाम जो अब तक उधार है.

यूं तो हर शाम उम्मीदों में गुज़र जाती है आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया !

यूं तो हर शाम उम्मीदों में गुज़र जाती है आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया !

वो रोज़ देखता है डूबते हुए सूरज को

वो रोज़ देखता है डूबते हुए सूरज को "फ़राज़" काश मैं भी किसी शाम का मँज़र होता।

ये उदास शाम और तेरी ज़ालिम याद, खुदा खैर करे अभी तो रात बाकि है।

ये उदास शाम और तेरी ज़ालिम याद, खुदा खैर करे अभी तो रात बाकि है।

अब उदास फिरते हो सर्दियों की शामों में, इस तरह तो होता है इस तरह के कामों में.

अब उदास फिरते हो सर्दियों की शामों में, इस तरह तो होता है इस तरह के कामों में.

अब कौन मुंतज़िर है हमारे लिए वहाँ शाम आ गई है लौट के घर जाएँ हम तो क्या !

अब कौन मुंतज़िर है हमारे लिए वहाँ शाम आ गई है लौट के घर जाएँ हम तो क्या !

उसने पूछा कि कौनसा तोहफा है मनपसंद? मैंने कहा वो शाम जो अब तक उधार है।

उसने पूछा कि कौनसा तोहफा है मनपसंद? मैंने कहा वो शाम जो अब तक उधार है।

शामें किसी को मांगती हैं आज भी फ़िराक गो ज़िंदग़ी में यूं मुझे कोई कमी नहीं !

शामें किसी को मांगती हैं आज भी फ़िराक गो ज़िंदग़ी में यूं मुझे कोई कमी नहीं !

 बस एक शाम का हर शाम इंतिज़ार रहा, मगर वो शाम किसी शाम भी नहीं आई।

बस एक शाम का हर शाम इंतिज़ार रहा, मगर वो शाम किसी शाम भी नहीं आई।

जिसमें न चमकते हों मोहब्बत के सितारे, वो शाम अगर है तो मेरी शाम नहीं है.

जिसमें न चमकते हों मोहब्बत के सितारे, वो शाम अगर है तो मेरी शाम नहीं है.

आख़िरी बार मैं कब उस से मिला याद नहीं बस यही याद है इक शाम बहुत भारी थी !

आख़िरी बार मैं कब उस से मिला याद नहीं बस यही याद है इक शाम बहुत भारी थी !

जिसमें न चमकते हों मोहब्बत के सितारे, वो शाम अगर है तो मेरी शाम नहीं है।

जिसमें न चमकते हों मोहब्बत के सितारे, वो शाम अगर है तो मेरी शाम नहीं है।