Shaam Shayari, Status, and Images in Hindi

Best Shaam Shayari, Status, Messages, and Quotes With Images in Hindi.

Heart Touching Shaam Shayari

तेरी निगाह उठे तो सुबह हो, पलके झुके तो शाम हो जाये, अगर तू मुस्कुरा भर दे तो कत्ले आम हो जाये।

यूँ तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती है, आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया.

गुज़र गई है मगर रोज़ याद आती है वो एक शाम जिसे भूलने की हसरत है !

हुई जो शाम तो अपना लिबास पहना कर, शफ़क़ को जैसे दम-ए-इंतिज़ार भेजा है.

ढलती शाम सी खूबसूरत हो तुम मगर शाम की ही तरह बहुत दूर हो तुम !

मुद्दत से एक रात भी अपनी नहीं हुई, हर शाम कोई आया उठा ले गया मुझे।

उस की आँखों में उतर जाने को जी चाहता है, शाम होती है तो घर जाने को जी चाहता है।

ऐ दरख़्तों, शाम ढल गई, उम्मीद छोड़ दो, अब वो परिंदा नहीं आएगा.

अब उदास फिरते हो सर्दियों की शामों में इस तरह तो होता है इस तरह के कामों में !

उधर इस्लाम ख़तरे में,इधर है राम ख़तरे में, मगर मैं क्या करूँ,है मेरी सुब्हो-शाम ख़तरे में।

हम दुनिया से जब तंग आया करते हैं, अपने साथ इक शाम मनाया करते हैं.

शाम से आंख में नमी सी है आज फिर आपकी कमी सी है !

तुम्हारी जुल्फ के साये में शाम कर लूँगा, सफ़र इस उम्र का पल में तमाम कर लूँगा।

रात सारी तड़पते रहेंगे हम अब, आज फिर ख़त तेरे पढ़ लिए शाम को.

जिन्दगी को खुश रहकर जिओ रोज शाम सिर्फ सूरज ही नहीं ढलता अनमोल जिन्दगी भी ढलती है!

शाम तक सुबह की नज़रों से उतर जाते हैं, इतने समझौतों पे जीते हैं कि मर जाते हैं।

उसने पूछा कि कौनसा तोहफा है मनपसंद, मैंने कहा.. वो शाम जो अब तक उधार है.

यूं तो हर शाम उम्मीदों में गुज़र जाती है आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया !

वो रोज़ देखता है डूबते हुए सूरज को "फ़राज़" काश मैं भी किसी शाम का मँज़र होता।

वही ख़्वाब-ख़्वाब हैं रास्ते वही इंतज़ार सी शाम है ये सफर है मेरे इश्क़ काएन दयार है न क़याम है !

ये उदास शाम और तेरी ज़ालिम याद, खुदा खैर करे अभी तो रात बाकि है।

अब उदास फिरते हो सर्दियों की शामों में, इस तरह तो होता है इस तरह के कामों में.

अब कौन मुंतज़िर है हमारे लिए वहाँ शाम आ गई है लौट के घर जाएँ हम तो क्या !

उसने पूछा कि कौनसा तोहफा है मनपसंद? मैंने कहा वो शाम जो अब तक उधार है।

शामें किसी को मांगती हैं आज भी फ़िराक गो ज़िंदग़ी में यूं मुझे कोई कमी नहीं !

बस एक शाम का हर शाम इंतिज़ार रहा, मगर वो शाम किसी शाम भी नहीं आई।

जिसमें न चमकते हों मोहब्बत के सितारे, वो शाम अगर है तो मेरी शाम नहीं है.

आख़िरी बार मैं कब उस से मिला याद नहीं बस यही याद है इक शाम बहुत भारी थी !

जिसमें न चमकते हों मोहब्बत के सितारे, वो शाम अगर है तो मेरी शाम नहीं है।

हमने एक शाम चिरागो से सज़ा रखी है, शर्त लोगो ने हवाओं से लगा रखी है.

दिन गुज़र जाता है तपते हुए सूरज की तरह शाम आती है तो ढल जाने को जी चाहता है !

कभी कभी शाम ऐसे ढलती है जैसे घूंघट उतर रहा हो, तुम्हारे सीने से उठता धुआँ हमारे दिल से गुज़र रहा हो।

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तेरी निगाह उठे तो सुबह हो, पलके झुके तो शाम हो जाये, अगर तू मुस्कुरा भर दे तो कत्ले आम हो जाये।
यूँ तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती है, आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया.
गुज़र गई है मगर रोज़ याद आती है वो एक शाम जिसे भूलने की हसरत है !
हुई जो शाम तो अपना लिबास पहना कर, शफ़क़ को जैसे दम-ए-इंतिज़ार भेजा है.
ढलती शाम सी खूबसूरत हो तुम मगर शाम की ही तरह बहुत दूर हो तुम !
मुद्दत से एक रात भी अपनी नहीं हुई, हर शाम कोई आया उठा ले गया मुझे।
उस की आँखों में उतर जाने को जी चाहता है, शाम होती है तो घर जाने को जी चाहता है।
ऐ दरख़्तों, शाम ढल गई, उम्मीद छोड़ दो, अब वो परिंदा नहीं आएगा.
अब उदास फिरते हो सर्दियों की शामों में इस तरह तो होता है इस तरह के कामों में !
उधर इस्लाम ख़तरे में,इधर है राम ख़तरे में, मगर मैं क्या करूँ,है मेरी सुब्हो-शाम ख़तरे में।
हम दुनिया से जब तंग आया करते हैं, अपने साथ इक शाम मनाया करते हैं.
शाम से आंख में नमी सी है आज फिर आपकी कमी सी है !
तुम्हारी जुल्फ के साये में शाम कर लूँगा, सफ़र इस उम्र का पल में तमाम कर लूँगा।
रात सारी तड़पते रहेंगे हम अब, आज फिर ख़त तेरे पढ़ लिए शाम को.
जिन्दगी को खुश रहकर जिओ रोज शाम सिर्फ सूरज ही नहीं ढलता अनमोल जिन्दगी भी ढलती है!
शाम तक सुबह की नज़रों से उतर जाते हैं, इतने समझौतों पे जीते हैं कि मर जाते हैं।
उसने पूछा कि कौनसा तोहफा है मनपसंद, मैंने कहा.. वो शाम जो अब तक उधार है.
यूं तो हर शाम उम्मीदों में गुज़र जाती है आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया !
वो रोज़ देखता है डूबते हुए सूरज को
वही ख़्वाब-ख़्वाब हैं रास्ते वही इंतज़ार सी शाम है ये सफर है मेरे इश्क़ काएन दयार है न क़याम है !
ये उदास शाम और तेरी ज़ालिम याद, खुदा खैर करे अभी तो रात बाकि है।
अब उदास फिरते हो सर्दियों की शामों में, इस तरह तो होता है इस तरह के कामों में.
अब कौन मुंतज़िर है हमारे लिए वहाँ शाम आ गई है लौट के घर जाएँ हम तो क्या !
उसने पूछा कि कौनसा तोहफा है मनपसंद? मैंने कहा वो शाम जो अब तक उधार है।
शामें किसी को मांगती हैं आज भी फ़िराक गो ज़िंदग़ी में यूं मुझे कोई कमी नहीं !
 बस एक शाम का हर शाम इंतिज़ार रहा, मगर वो शाम किसी शाम भी नहीं आई।
जिसमें न चमकते हों मोहब्बत के सितारे, वो शाम अगर है तो मेरी शाम नहीं है.
आख़िरी बार मैं कब उस से मिला याद नहीं बस यही याद है इक शाम बहुत भारी थी !
जिसमें न चमकते हों मोहब्बत के सितारे, वो शाम अगर है तो मेरी शाम नहीं है।
हमने एक शाम चिरागो से सज़ा रखी है, शर्त लोगो ने हवाओं से लगा रखी है.
दिन गुज़र जाता है तपते हुए सूरज की तरह शाम आती है तो ढल जाने को जी चाहता है !
कभी कभी शाम ऐसे ढलती है जैसे घूंघट उतर रहा हो, तुम्हारे सीने से उठता धुआँ हमारे दिल से गुज़र रहा हो।