दिन गुज़र जाता है तपते हुए सूरज की तरह शाम आती है तो ढल जाने को जी चाहता है ! - Shaam Shayari

दिन गुज़र जाता है तपते हुए सूरज की तरह शाम आती है तो ढल जाने को जी चाहता है !

Shaam Shayari