कभी कभी शाम ऐसे ढलती है जैसे घूंघट उतर रहा हो, तुम्हारे सीने से उठता धुआँ हमारे दिल से गुज़र रहा हो। - Shaam Shayari

कभी कभी शाम ऐसे ढलती है जैसे घूंघट उतर रहा हो, तुम्हारे सीने से उठता धुआँ हमारे दिल से गुज़र रहा हो।

Shaam Shayari