मंज़िल होगी आसमाँ ऐसा यकीं कुछ कम है, अपने नक्शे के मुताबिक़ ये ज़मीं कुछ कम है। - Manzil Shayari

मंज़िल होगी आसमाँ ऐसा यकीं कुछ कम है, अपने नक्शे के मुताबिक़ ये ज़मीं कुछ कम है।

Manzil Shayari