नहीं निगाह मे मंज़िल तो जुस्तजू ही सही नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही ! - Manzil Shayari

नहीं निगाह मे मंज़िल तो जुस्तजू ही सही नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही !

Manzil Shayari