रास्ते मुश्किल है पर हम मंज़िल ज़रूर पायेंगे ये जो किस्मत अकड़ कर बैठी है इसे भी ज़रूर हरायेंगे।

रास्ते मुश्किल है पर हम मंज़िल ज़रूर पायेंगे ये जो किस्मत अकड़ कर बैठी है इसे भी ज़रूर हरायेंगे।

Manzil Shayari

हर सपने को अपनी साँसों में रखे हर मंज़िल को अपनी बाहों में रखे हर जीत आपकी ही है बस अपने लक्ष्य को अपनी निगाहों में रखे।

हर सपने को अपनी साँसों में रखे हर मंज़िल को अपनी बाहों में रखे हर जीत आपकी ही है बस अपने लक्ष्य को अपनी निगाहों में रखे।

मंज़िल तो मिल ही जायेगी भटक कर ही सही गुमराह तो वो हैं जो घर से निकला ही नहीं करते !

मंज़िल तो मिल ही जायेगी भटक कर ही सही गुमराह तो वो हैं जो घर से निकला ही नहीं करते !

 ये राहें ले ही जाएँगी मंज़िल तक हौसला रख कभी सुना है कि अंधेरों ने सवेरा ना होने दिया।

ये राहें ले ही जाएँगी मंज़िल तक हौसला रख कभी सुना है कि अंधेरों ने सवेरा ना होने दिया।

जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे नज़र है आँखों ने अभी मील का पत्थर नहीं देखा !

जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे नज़र है आँखों ने अभी मील का पत्थर नहीं देखा !

 मंज़िल होगी आसमाँ ऐसा यकीं कुछ कम है, अपने नक्शे के मुताबिक़ ये ज़मीं कुछ कम है।

मंज़िल होगी आसमाँ ऐसा यकीं कुछ कम है, अपने नक्शे के मुताबिक़ ये ज़मीं कुछ कम है।

नहीं निगाह मे मंज़िल तो जुस्तजू ही सही नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही !

नहीं निगाह मे मंज़िल तो जुस्तजू ही सही नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही !

रास्ते कहां खत्म होते हैं ज़िन्दगी के सफ़र में मंज़िल तो वही है जहां ख्वाहिशें थम जाएं !

रास्ते कहां खत्म होते हैं ज़िन्दगी के सफ़र में मंज़िल तो वही है जहां ख्वाहिशें थम जाएं !

मंजिल मिले या ना मिले ये तो मुकद्दर की बात है हम कोशिश भी ना करे ये तो गलत बात हैं !

मंजिल मिले या ना मिले ये तो मुकद्दर की बात है हम कोशिश भी ना करे ये तो गलत बात हैं !

 मंज़िल पा ली मैंने ठोकरें खा कर, लेकिन मरहम ना पा सका मंजिल पाकर।

मंज़िल पा ली मैंने ठोकरें खा कर, लेकिन मरहम ना पा सका मंजिल पाकर।

कभी कभी लंगड़े घोड़े पे दाव लगाना ज्यादा सही होता है, क्योंकि दर्द जब जूनून बन जाए तब मंजिल बहुत नजदीक लगने लगती हैं।

कभी कभी लंगड़े घोड़े पे दाव लगाना ज्यादा सही होता है, क्योंकि दर्द जब जूनून बन जाए तब मंजिल बहुत नजदीक लगने लगती हैं।

हूँ चल रहा उस राह पर जिसकी कोई मंज़िल नहीं है जुस्तजू उस शख़्स की जो कभी हासिल नहीं !

हूँ चल रहा उस राह पर जिसकी कोई मंज़िल नहीं है जुस्तजू उस शख़्स की जो कभी हासिल नहीं !

सीढ़िया उन्हें मुबारक हो जिन्हें सिर्फ़ छत तक जाना है, मेरी मंजिल तो आसमान है रास्ता मुझे ख़ुद बनाना है।

सीढ़िया उन्हें मुबारक हो जिन्हें सिर्फ़ छत तक जाना है, मेरी मंजिल तो आसमान है रास्ता मुझे ख़ुद बनाना है।

मंज़र धुंधला हो सकता है मंज़िल नहीं दौर बुरा हो सकता है ज़िंदगी नहीं !

मंज़र धुंधला हो सकता है मंज़िल नहीं दौर बुरा हो सकता है ज़िंदगी नहीं !

ख़ुद पुकारेगी जो मंजिल तो ठहर जाऊँगा, वरना खुद्दार मुसाफ़िर हूँ गुजर जाऊँगा।

ख़ुद पुकारेगी जो मंजिल तो ठहर जाऊँगा, वरना खुद्दार मुसाफ़िर हूँ गुजर जाऊँगा।

मंज़िल तो मिल ही जायेगी भटक कर ही सही गुमराह तो वो हैं जो घर से निकला ही नहीं !

मंज़िल तो मिल ही जायेगी भटक कर ही सही गुमराह तो वो हैं जो घर से निकला ही नहीं !

सिर्फ़ इक क़दम उठा था ग़लत राह-ए-शौक़ में मंज़िल तमाम उम्र मुझे ढूँढती रही !

सिर्फ़ इक क़दम उठा था ग़लत राह-ए-शौक़ में मंज़िल तमाम उम्र मुझे ढूँढती रही !

एक मंज़िल है मगर राह कई हैं सोचना ये है कि जाओगे किधर से पहले !

एक मंज़िल है मगर राह कई हैं सोचना ये है कि जाओगे किधर से पहले !

किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंजिल, कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा.

किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंजिल, कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा.