एक मंज़िल है मगर राह कई हैं सोचना ये है कि जाओगे किधर से पहले ! - Manzil Shayari

एक मंज़िल है मगर राह कई हैं सोचना ये है कि जाओगे किधर से पहले !

Manzil Shayari