गम में डूबी मेरी हर आहें है, मंजिल का पता नहीं और काँटों भरी राहें है।

गम में डूबी मेरी हर आहें है, मंजिल का पता नहीं और काँटों भरी राहें है।

Manzil Shayari

कभी कभी लंगड़े घोड़े पे दाव लगाना ज्यादा सही होता है, क्योंकि दर्द जब जूनून बन जाए तब मंजिल बहुत नजदीक लगने लगती हैं।

कभी कभी लंगड़े घोड़े पे दाव लगाना ज्यादा सही होता है, क्योंकि दर्द जब जूनून बन जाए तब मंजिल बहुत नजदीक लगने लगती हैं।

हूँ चल रहा उस राह पर जिसकी कोई मंज़िल नहीं है जुस्तजू उस शख़्स की जो कभी हासिल नहीं !

हूँ चल रहा उस राह पर जिसकी कोई मंज़िल नहीं है जुस्तजू उस शख़्स की जो कभी हासिल नहीं !

सीढ़िया उन्हें मुबारक हो जिन्हें सिर्फ़ छत तक जाना है, मेरी मंजिल तो आसमान है रास्ता मुझे ख़ुद बनाना है।

सीढ़िया उन्हें मुबारक हो जिन्हें सिर्फ़ छत तक जाना है, मेरी मंजिल तो आसमान है रास्ता मुझे ख़ुद बनाना है।

मंज़र धुंधला हो सकता है मंज़िल नहीं दौर बुरा हो सकता है ज़िंदगी नहीं !

मंज़र धुंधला हो सकता है मंज़िल नहीं दौर बुरा हो सकता है ज़िंदगी नहीं !

ख़ुद पुकारेगी जो मंजिल तो ठहर जाऊँगा, वरना खुद्दार मुसाफ़िर हूँ गुजर जाऊँगा।

ख़ुद पुकारेगी जो मंजिल तो ठहर जाऊँगा, वरना खुद्दार मुसाफ़िर हूँ गुजर जाऊँगा।

मंज़िल तो मिल ही जायेगी भटक कर ही सही गुमराह तो वो हैं जो घर से निकला ही नहीं !

मंज़िल तो मिल ही जायेगी भटक कर ही सही गुमराह तो वो हैं जो घर से निकला ही नहीं !

सिर्फ़ इक क़दम उठा था ग़लत राह-ए-शौक़ में मंज़िल तमाम उम्र मुझे ढूँढती रही !

सिर्फ़ इक क़दम उठा था ग़लत राह-ए-शौक़ में मंज़िल तमाम उम्र मुझे ढूँढती रही !

एक मंज़िल है मगर राह कई हैं सोचना ये है कि जाओगे किधर से पहले !

एक मंज़िल है मगर राह कई हैं सोचना ये है कि जाओगे किधर से पहले !

किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंजिल, कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा.

किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंजिल, कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा.

न मंज़िल है, न मंज़िल की है कोई दूर तक उम्मीद, ये किस रस्ते पे मुझको मेरा रहबर लेके आया है।

न मंज़िल है, न मंज़िल की है कोई दूर तक उम्मीद, ये किस रस्ते पे मुझको मेरा रहबर लेके आया है।

कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहीं ज़िंदगी ने तो धोके पे दिया है धोका !

कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहीं ज़िंदगी ने तो धोके पे दिया है धोका !

तेरे जहान में ऐसा नहीं कि प्यार न हो, जहाँ उम्मीद हो इसकी वहाँ नहीं मिलता।

तेरे जहान में ऐसा नहीं कि प्यार न हो, जहाँ उम्मीद हो इसकी वहाँ नहीं मिलता।

उम्मीद से बढ़कर निकली तू पगली सोचा था दिल तोड़ेगी पर तूने तो मुझे ही तोड़ कर रख दिया !

उम्मीद से बढ़कर निकली तू पगली सोचा था दिल तोड़ेगी पर तूने तो मुझे ही तोड़ कर रख दिया !

अब वफा की उम्मीद भी किस से करे भला, मिटटी के बने लोग कागजो मे बिक जाते है।

अब वफा की उम्मीद भी किस से करे भला, मिटटी के बने लोग कागजो मे बिक जाते है।

काश तुम भी कभी जोर से गले लगा कर कहो डरते क्यों हो पागल तुम्हारी ही तो हूं !

काश तुम भी कभी जोर से गले लगा कर कहो डरते क्यों हो पागल तुम्हारी ही तो हूं !

उम्मीद की किरण के सिवा कुछ नहीं यहाँ, इस घर में रौशनी का बस यही इंतज़ाम है।

उम्मीद की किरण के सिवा कुछ नहीं यहाँ, इस घर में रौशनी का बस यही इंतज़ाम है।

मेरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा इसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा !

मेरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा इसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा !

हजारो उम्मीदें बंधती हैं, एक निगाह पर, मुझको न ऐसे प्यार से, देखा करे कोई।

हजारो उम्मीदें बंधती हैं, एक निगाह पर, मुझको न ऐसे प्यार से, देखा करे कोई।