तेरे वादों पे कहाँ तक मेरा दिल फ़रेब खाए कोई ऐसा कर बहाना मेरी आस टूट जाए ! - Umeed Shayari

तेरे वादों पे कहाँ तक मेरा दिल फ़रेब खाए कोई ऐसा कर बहाना मेरी आस टूट जाए !

Umeed Shayari