सुना है हमने भी, उम्मीद पे जीता है जमाना, क्या करे वो जिसकी कोई उम्मीद ही न हो। - Umeed Shayari

सुना है हमने भी, उम्मीद पे जीता है जमाना, क्या करे वो जिसकी कोई उम्मीद ही न हो।

Umeed Shayari