पता है मजबूर है तू और मै भी फिर भी आंखें तेरे दीदार को तरसती है ! - Khamoshi Shayari

पता है मजबूर है तू और मै भी फिर भी आंखें तेरे दीदार को तरसती है !

Khamoshi Shayari