मेरी तलाश का है जुर्म या मेरी वफा का क़सूर जो दिल के करीब आया वही बेवफा निकला !

मेरी तलाश का है जुर्म या मेरी वफा का क़सूर जो दिल के करीब आया वही बेवफा निकला !

Mausam Shayari

अरे इतना भी मत सताओ मौसम सुहाना है थोड़े नखरे कम करो दूर क्यूँ हो ,थोड़ा पास आजाओ।

अरे इतना भी मत सताओ मौसम सुहाना है थोड़े नखरे कम करो दूर क्यूँ हो ,थोड़ा पास आजाओ।

मौसम का कुछ ऐसा खुमार है मन करता चीख कर कह दू हमको तुमसे बहुत प्यार है !

मौसम का कुछ ऐसा खुमार है मन करता चीख कर कह दू हमको तुमसे बहुत प्यार है !

उसे छुआ तो दिसम्बर में प्यास लगने लगी, कि उसके ज़िस्म का मौसम तो जून जैसा है।

उसे छुआ तो दिसम्बर में प्यास लगने लगी, कि उसके ज़िस्म का मौसम तो जून जैसा है।

ये सर्द शामें भी किस कदर ज़ालिम है बहुत सर्द होती है मगर इनमें दिल सुलगता है!

ये सर्द शामें भी किस कदर ज़ालिम है बहुत सर्द होती है मगर इनमें दिल सुलगता है!

कुछ तो तेरे मौसम ही मुझे रास कम आये और कुछ तेरी मिटटी में बगावत भी बहुत थी।

कुछ तो तेरे मौसम ही मुझे रास कम आये और कुछ तेरी मिटटी में बगावत भी बहुत थी।

कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तेरा ख्याल भी दिल को खुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी।

कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तेरा ख्याल भी दिल को खुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी।

क्यों आग सी लगा के गुमसुम है चाँदनी, सोने भी नहीं देता मौसम का ये इशारा।।

क्यों आग सी लगा के गुमसुम है चाँदनी, सोने भी नहीं देता मौसम का ये इशारा।।

बारिश आई थी बादल गरजे थे हर जगह उनके फिजा ए मौसम महकाने के चर्च थे पर एक हम ही नजारों का मजा न ले पाए यहाँ जो तेरे इम्ताहानो से निकल जाने को तरसे थे!

बारिश आई थी बादल गरजे थे हर जगह उनके फिजा ए मौसम महकाने के चर्च थे पर एक हम ही नजारों का मजा न ले पाए यहाँ जो तेरे इम्ताहानो से निकल जाने को तरसे थे!

रात गुज़री तो फिर महकती सुबह आई दिल धड़का फिर आपकी याद आई साँसों ने महसूस किया हवा की खुश्बू को जो आपको छूकर हमारे पास आई!

रात गुज़री तो फिर महकती सुबह आई दिल धड़का फिर आपकी याद आई साँसों ने महसूस किया हवा की खुश्बू को जो आपको छूकर हमारे पास आई!

खूब हौसला बढाया आँधियों ने धूल का मगर दो बूॅद बारिश ने औकात बता दी!

खूब हौसला बढाया आँधियों ने धूल का मगर दो बूॅद बारिश ने औकात बता दी!

बदला जो रंग उसने हैरत हुयी मुझे, मौसम को भी मात दे गयी फ़ितरत जनाब की।

बदला जो रंग उसने हैरत हुयी मुझे, मौसम को भी मात दे गयी फ़ितरत जनाब की।

ख्वाहिश चाहत से बढ़ गई तू इबादत हो गई हैं मेरी नींदों को भी तेरे सपनों की आदत हो गई हैं !

ख्वाहिश चाहत से बढ़ गई तू इबादत हो गई हैं मेरी नींदों को भी तेरे सपनों की आदत हो गई हैं !

यू खाली पलकें झुका देने से नींद नहीं आती सोते वही लोग है, जिनके पास किसी की याद नहीं होती!

यू खाली पलकें झुका देने से नींद नहीं आती सोते वही लोग है, जिनके पास किसी की याद नहीं होती!

तुम्हारे ख्वाबों को गिरवी रखके तकिये से रोज़ रात थोड़ी नींद उधार लेता हूँ!

तुम्हारे ख्वाबों को गिरवी रखके तकिये से रोज़ रात थोड़ी नींद उधार लेता हूँ!

नींद यु ही नसीब नहीं होती दिन भर काम करना पड़ता है रातों को सोने के लिए !

नींद यु ही नसीब नहीं होती दिन भर काम करना पड़ता है रातों को सोने के लिए !

मैं तेरे नाम का एक सपना हूँ और तू मेरे हिस्से की नींद हैं, जो मुझसे दूर बहुत दूर रहती हैं!

मैं तेरे नाम का एक सपना हूँ और तू मेरे हिस्से की नींद हैं, जो मुझसे दूर बहुत दूर रहती हैं!

तुम्हारे ख्वाबों को गिरवी रखके तकिये से रोज़ रात थोड़ी नींद उधार लेता हूँ !

तुम्हारे ख्वाबों को गिरवी रखके तकिये से रोज़ रात थोड़ी नींद उधार लेता हूँ !

सुकून तो न जाने कहाँ खो गया है, अब तो बस नींद के झरोखें आते है!

सुकून तो न जाने कहाँ खो गया है, अब तो बस नींद के झरोखें आते है!