तुम्हारी फ़िक्र है मुझे कोई शक नहीं, किसी और को तुम्हें देखने का कोई हक नहीं. - Shak Shayari

तुम्हारी फ़िक्र है मुझे कोई शक नहीं, किसी और को तुम्हें देखने का कोई हक नहीं.

Shak Shayari