हाथों में पत्थर नहीं, फिर भी चोट देती है ये जुबान भी अजीब है, अच्छे-अच्छों के घर तोड़ देती है। - Nasha Shayari

हाथों में पत्थर नहीं, फिर भी चोट देती है ये जुबान भी अजीब है, अच्छे-अच्छों के घर तोड़ देती है।

Nasha Shayari