इश्क़ का ही तो नशा होता है वर्ना कौन कमबख्त सुनसान रास्तो पर मुस्कुराता है ! - Nasha Shayari

इश्क़ का ही तो नशा होता है वर्ना कौन कमबख्त सुनसान रास्तो पर मुस्कुराता है !

Nasha Shayari