बिछड़ के तुझसे ना देखा गया किसी का मिलन, उठा दिया परिंदे भी हमने शजर पे बैठे हुई। - Matlabi Shayari

बिछड़ के तुझसे ना देखा गया किसी का मिलन, उठा दिया परिंदे भी हमने शजर पे बैठे हुई।

Matlabi Shayari