मेरी मासुमीयत पर हंसते हैं, मतलब निकालने वाले, खुद को बहुत समझदार समझते हैं , ये शहर में रहने वाले। - Matlabi Shayari

मेरी मासुमीयत पर हंसते हैं, मतलब निकालने वाले, खुद को बहुत समझदार समझते हैं , ये शहर में रहने वाले।

Matlabi Shayari