वक्त ढूँढ रहा था मुझे हाथों में खंजर लिए। मैं छुप गई आईने में आँखों में समंदर लिए। - Samandar Shayari

वक्त ढूँढ रहा था मुझे हाथों में खंजर लिए। मैं छुप गई आईने में आँखों में समंदर लिए।

Samandar Shayari