बेनक़ाब निकलीं वो छत पर आज, अब्रेबारां से निकला जैसे आफताब। - Aaftab Shayari

बेनक़ाब निकलीं वो छत पर आज, अब्रेबारां से निकला जैसे आफताब।

Aaftab Shayari