दुख़्तर-ए-रज़ ने उठा रक्खी है आफ़त सर पर ख़ैरियत गुज़री कि अंगूर के बेटा न हुआ! - Aafat Shayari

दुख़्तर-ए-रज़ ने उठा रक्खी है आफ़त सर पर ख़ैरियत गुज़री कि अंगूर के बेटा न हुआ!

Aafat Shayari