ऐ जुनूँ फिर मिरे सर पर वही शामत आई, फिर फँसा ज़ुल्फ़ों में दिल फिर वही आफ़त आई। - Aafat Shayari

ऐ जुनूँ फिर मिरे सर पर वही शामत आई, फिर फँसा ज़ुल्फ़ों में दिल फिर वही आफ़त आई।

Aafat Shayari