ये हवा, ये रात ये चाँदनी तेरी एक अदा पे निसार हैं, मुझे क्यों ना हो तेरी आरजू तेरी जुस्तजू में बहार है। - Bahaar Shayari

ये हवा, ये रात ये चाँदनी तेरी एक अदा पे निसार हैं, मुझे क्यों ना हो तेरी आरजू तेरी जुस्तजू में बहार है।

Bahaar Shayari