गई बहार मगर अपनी बेख़ुदी है वही समझ रहा हूँ कि अब तक बहार बाक़ी है - Bahaar Shayari

गई बहार मगर अपनी बेख़ुदी है वही समझ रहा हूँ कि अब तक बहार बाक़ी है

Bahaar Shayari