ऐ बारिश जरा खुलकर  बरस, ये क्या तमाशा है, इतनी रिमझिम तो मेरी आँखों से रोज होती है.  - Baras Shayari

ऐ बारिश जरा खुलकर बरस, ये क्या तमाशा है, इतनी रिमझिम तो मेरी आँखों से रोज होती है.

Baras Shayari