ऐ बारिश जरा खुलकर  बरस, ये क्या तमाशा है, इतनी रिमझिम तो मेरी आँखों से रोज होती है.

ऐ बारिश जरा खुलकर बरस, ये क्या तमाशा है, इतनी रिमझिम तो मेरी आँखों से रोज होती है.

Baras Shayari

 मौसम-ए-गुल में तो आ जाती है काँटों पे बहार, बात तो जब है ख़िजाँ में गुल-ए-तर पैदा कर!

मौसम-ए-गुल में तो आ जाती है काँटों पे बहार, बात तो जब है ख़िजाँ में गुल-ए-तर पैदा कर!

उल्फ़त के मारों से ना पूछों आलम इंतज़ार का पतझड़ सी है ज़िन्दगी, ख्याल है बहार का।

उल्फ़त के मारों से ना पूछों आलम इंतज़ार का पतझड़ सी है ज़िन्दगी, ख्याल है बहार का।

 काँटों को मत निकाल चमन से ओ बाग़बाँ, ये भी गुलों के साथ पले हैं बहार में।

काँटों को मत निकाल चमन से ओ बाग़बाँ, ये भी गुलों के साथ पले हैं बहार में।

चाँद तारो की कसम खाता हूँ, मैं बहारों की कसम खाता हूँ, कोई आप जैसा नज़र नहीं आया, मैं नजारों की कसम खाता हूँ।

चाँद तारो की कसम खाता हूँ, मैं बहारों की कसम खाता हूँ, कोई आप जैसा नज़र नहीं आया, मैं नजारों की कसम खाता हूँ।

उधर भी ख़ाक उड़ी है इधर भी ख़ाक उड़ी जहाँ जहाँ से बहारों के कारवाँ निकले

उधर भी ख़ाक उड़ी है इधर भी ख़ाक उड़ी जहाँ जहाँ से बहारों के कारवाँ निकले

 ज़रा सी मुस्कुराहटों की बात हमने क्या की,  वो तो मुझपर  बरस पड़े शिकायतों की तरह.

ज़रा सी मुस्कुराहटों की बात हमने क्या की, वो तो मुझपर बरस पड़े शिकायतों की तरह.

आज तो आसमान से भी ज़ज़्बात नही सम्भाले जा रहे,  जमी से मिलने को तरस रहा है, रह-रह कर बरस रहा है.

आज तो आसमान से भी ज़ज़्बात नही सम्भाले जा रहे, जमी से मिलने को तरस रहा है, रह-रह कर बरस रहा है.

 गुजरे जिधर से तू वो मेरा रास्ता न हो अब के बरस दुआ है तेरा सामना न हो.

गुजरे जिधर से तू वो मेरा रास्ता न हो अब के बरस दुआ है तेरा सामना न हो.

 दुश्मन भी चख ले तो मुँह मीठा हो जाए...  अब के बरस स्वभाव मेरा भी गुड़ जैसा हो जाये.

दुश्मन भी चख ले तो मुँह मीठा हो जाए... अब के बरस स्वभाव मेरा भी गुड़ जैसा हो जाये.

जिन पत्थरों को कभी हमने दी थी धड़कने, आज उनको जुबां मिली तो हम पर  बरस पड़े.

जिन पत्थरों को कभी हमने दी थी धड़कने, आज उनको जुबां मिली तो हम पर बरस पड़े.

 इस बार बरस जाए ईमान की बारिश, लोगों के ज़मीर पर धूल बहुत है.

इस बार बरस जाए ईमान की बारिश, लोगों के ज़मीर पर धूल बहुत है.

पिछले बरस था खौफ की तुझको खो ना दूँ कही,  अब के बरस ये दुआ है की तेरा सामना ना हो.

पिछले बरस था खौफ की तुझको खो ना दूँ कही, अब के बरस ये दुआ है की तेरा सामना ना हो.

उन्होंने कहा, बहुत बोलते हो, अब क्या  बरस जाओगे,  हमने कहा, चुप हो गए तो तुम तरस जाओगे.

उन्होंने कहा, बहुत बोलते हो, अब क्या बरस जाओगे, हमने कहा, चुप हो गए तो तुम तरस जाओगे.

दीवार का कैलेंडर तो बदलता है हर साल,, ए-ख़ुदा अब के  बरस हालात भी तो बदल दे.

दीवार का कैलेंडर तो बदलता है हर साल,, ए-ख़ुदा अब के बरस हालात भी तो बदल दे.

कभी तो खुल के  बरस अब्रे मेहरबाँ की तरह मेरा वजूद है जलते हुए मकाँ की तरह.

कभी तो खुल के बरस अब्रे मेहरबाँ की तरह मेरा वजूद है जलते हुए मकाँ की तरह.

बादल बरस रहे है बाहर, और यादें बरस रही है अंदर.

बादल बरस रहे है बाहर, और यादें बरस रही है अंदर.

रंग का खुमार ऐसा  बरस रहा है,  हर कोई खेलने को होली तरस रहा है.

रंग का खुमार ऐसा बरस रहा है, हर कोई खेलने को होली तरस रहा है.

घिरे हुए थे जो बादल बरस के थम भी गए,  एक तेरी याद हैं जो थमती ही नहीँ.

घिरे हुए थे जो बादल बरस के थम भी गए, एक तेरी याद हैं जो थमती ही नहीँ.