जिन पत्थरों को कभी हमने दी थी धड़कने, आज उनको जुबां मिली तो हम पर  बरस पड़े.  - Baras Shayari

जिन पत्थरों को कभी हमने दी थी धड़कने, आज उनको जुबां मिली तो हम पर बरस पड़े.

Baras Shayari