वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है, बहुत अज़ीज़ हमें है, मगर पराया है! - Chandani Shayari

वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है, बहुत अज़ीज़ हमें है, मगर पराया है!

Chandani Shayari