इरादे बाँधता हूँ, सोचता हूँ, तोड़ देता हूँ, कहीं ऐसा न हो जाये, कहीं वैसा न हो जाये।
 - New Shayari

इरादे बाँधता हूँ, सोचता हूँ, तोड़ देता हूँ, कहीं ऐसा न हो जाये, कहीं वैसा न हो जाये।

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