ज़िन्दगी से मेरी आदत नहीं मिलती, मुझे जीने की सूरत नहीं मिलती, कोई मेरा भी कभी हमसफ़र होता, मुझे ही क्यूँ मोहब्बत नहीं मिलती।
 - New Shayari

ज़िन्दगी से मेरी आदत नहीं मिलती, मुझे जीने की सूरत नहीं मिलती, कोई मेरा भी कभी हमसफ़र होता, मुझे ही क्यूँ मोहब्बत नहीं मिलती।

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