तरसते थे जो हमसे मिलने को कभी न जाने क्यों आज मेरे साए से भी कतराते हैं, हम भी वहीं हैं दिल भी वही है, न जाने क्यों लोग बदल जाते हैं।
 - New Shayari

तरसते थे जो हमसे मिलने को कभी न जाने क्यों आज मेरे साए से भी कतराते हैं, हम भी वहीं हैं दिल भी वही है, न जाने क्यों लोग बदल जाते हैं।

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