ख़ाक उड़ती है 🌜रात भर मुझमें, कौन फिरता है 💓दर-ब-दर मुझमें, मुझ को मुझमें 💓जगह नहीं मिलती, कोई मौजूद है इस 😍क़दर मुझमें।
 - love shayari

ख़ाक उड़ती है 🌜रात भर मुझमें, कौन फिरता है 💓दर-ब-दर मुझमें, मुझ को मुझमें 💓जगह नहीं मिलती, कोई मौजूद है इस 😍क़दर मुझमें।

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