कभी हक़ीक़त में भी बढ़ाया करो ताल्लुक़ हमसे, अब ख़्वाबों की मुलाक़ातों से तसल्ली नहीं होती !  - Pyar Bhari Shayari

कभी हक़ीक़त में भी बढ़ाया करो ताल्लुक़ हमसे, अब ख़्वाबों की मुलाक़ातों से तसल्ली नहीं होती !

Pyar Bhari Shayari

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