रुसवाई ज़िंदगी का मुकद्दर हो गयी, मेरे दिल भी पत्थर हो गया, जिसे रात दिन पाने के ख्वाब देखे, वो बेवफा किसी और की हमसफर हो गई। - Humsafar Shayari

रुसवाई ज़िंदगी का मुकद्दर हो गयी, मेरे दिल भी पत्थर हो गया, जिसे रात दिन पाने के ख्वाब देखे, वो बेवफा किसी और की हमसफर हो गई।

Humsafar Shayari

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