सामने मंजिल थी और पीछे उसका वजूद क्या करते हम भी यारों, रुकते तो सफर रह जाता चले तो हमसफर रह जाता! - Humsafar Shayari

सामने मंजिल थी और पीछे उसका वजूद क्या करते हम भी यारों, रुकते तो सफर रह जाता चले तो हमसफर रह जाता!

Humsafar Shayari