ठुकराया हमने भी है बहुतों को तेरे खातिर तुझसे फासला भी शायद उनकी बद्दुआओं का असर है। - Gulzar Shayari

ठुकराया हमने भी है बहुतों को तेरे खातिर तुझसे फासला भी शायद उनकी बद्दुआओं का असर है।

Gulzar Shayari