अपनी पीठ से निकले खंजरों को जब गिना मैंने ठीक उतने ही निकले जितनो को गले लगाया था ! - Gulzar Shayari

अपनी पीठ से निकले खंजरों को जब गिना मैंने ठीक उतने ही निकले जितनो को गले लगाया था !

Gulzar Shayari