कटती है आरज़ू के सहारे ज़िन्दगी, कैसे कहूँ किसी की तमन्ना नहीं..

कटती है आरज़ू के सहारे ज़िन्दगी, कैसे कहूँ किसी की तमन्ना नहीं..

Aarzoo Shayari

ज़िंदगी मेरी है तो एक ही काम की है आरज़ू तेरी है बस एक ही नाम की है।

ज़िंदगी मेरी है तो एक ही काम की है आरज़ू तेरी है बस एक ही नाम की है।

कोई गिला कोई शिकवा जरा रहे तुमसे, ये आरजू है कि इक सिलसिला रहे तुमसे..

कोई गिला कोई शिकवा जरा रहे तुमसे, ये आरजू है कि इक सिलसिला रहे तुमसे..

मुझ को ये आरज़ू वो उठाएँ नक़ाब ख़ुद उन को ये इंतिज़ार तक़ाज़ा करे कोई

मुझ को ये आरज़ू वो उठाएँ नक़ाब ख़ुद उन को ये इंतिज़ार तक़ाज़ा करे कोई

इसलिए आरज़ू छुपाई है, मुँह से निकली हुई पराई है. क़मर जलालवी.

इसलिए आरज़ू छुपाई है, मुँह से निकली हुई पराई है. क़मर जलालवी.

यही है आरज़ू बस आप से दिलबर जरा दिल तोड़िए आहिस्ता आहिस्ता!

यही है आरज़ू बस आप से दिलबर जरा दिल तोड़िए आहिस्ता आहिस्ता!

ख़ामोश सा शहर और गुफ़्तगू की आरज़ू, हम किससे करें बात, कोई बोलता ही नही!

ख़ामोश सा शहर और गुफ़्तगू की आरज़ू, हम किससे करें बात, कोई बोलता ही नही!

वो हादसे भी दहर में हम पर गुज़र गए, जीने की आरज़ू में कई बार मर गए!

वो हादसे भी दहर में हम पर गुज़र गए, जीने की आरज़ू में कई बार मर गए!

आरज़ू तुमसे आरज़ू है मेरी तुम मेरी आरज़ू बनोगी क्या

आरज़ू तुमसे आरज़ू है मेरी तुम मेरी आरज़ू बनोगी क्या

तुझसे मिले न थे तो कोई आरजू न थी, देखा तुम्हें तो तेरे तलबगार हो गये…

तुझसे मिले न थे तो कोई आरजू न थी, देखा तुम्हें तो तेरे तलबगार हो गये…

दस्तक सुनी तो जाग उठा दर्दे आरज़ू, अपनी तरफ क्यों आती नहीं प्यार की हवा…

दस्तक सुनी तो जाग उठा दर्दे आरज़ू, अपनी तरफ क्यों आती नहीं प्यार की हवा…

कुछ आग आरज़ू की, उम्मीद का धुआँ कुछ, हाँ राख ही तो ठहरा, अंजाम जिंदगी का..

कुछ आग आरज़ू की, उम्मीद का धुआँ कुछ, हाँ राख ही तो ठहरा, अंजाम जिंदगी का..

भरे हुए जाम पर सुराही का सर झुका तो बुरा लगेगा जिसे तेरी आरज़ू नहीं तू उसे मिला तो बुरा लगेगा

भरे हुए जाम पर सुराही का सर झुका तो बुरा लगेगा जिसे तेरी आरज़ू नहीं तू उसे मिला तो बुरा लगेगा

आरज़ू' जाम लो झिजक कैसी पी लो और दहशत-ए-गुनाह गई

आरज़ू' जाम लो झिजक कैसी पी लो और दहशत-ए-गुनाह गई

ख्वाइश बस इतनी सी है कि, तुम मेरे लफ़्ज़ों को समझो, आरज़ू ये नही की लोग, वाह वाह करें..

ख्वाइश बस इतनी सी है कि, तुम मेरे लफ़्ज़ों को समझो, आरज़ू ये नही की लोग, वाह वाह करें..

बात कम दिमाग गरम रखते है हम अपने दिल को नरम रखते है।

बात कम दिमाग गरम रखते है हम अपने दिल को नरम रखते है।

हम दिल के बाज़ीगर है दिल के सौदे करते है, आवारगी भी बस अपने शौक के लिए करते है।

हम दिल के बाज़ीगर है दिल के सौदे करते है, आवारगी भी बस अपने शौक के लिए करते है।

रात दिन आवारगी होने लगी तुम मिले तो शायरी होने लगी

रात दिन आवारगी होने लगी तुम मिले तो शायरी होने लगी

हमें ज़माना  सारा कभी भूल नहीं पायेगा आवारगी हमारी तरह कोई नहीं कर पायेगा।

हमें ज़माना सारा कभी भूल नहीं पायेगा आवारगी हमारी तरह कोई नहीं कर पायेगा।