ख़ामोश सा शहर और गुफ़्तगू की आरज़ू, हम किससे करें बात, कोई बोलता ही नही! - Aarzoo Shayari

ख़ामोश सा शहर और गुफ़्तगू की आरज़ू, हम किससे करें बात, कोई बोलता ही नही!

Aarzoo Shayari