रूहों की रूहानियत में दिलों की दिल्लगी में, कहाँ इतना मज़ा है जनाब जो आँखों की गुस्ताखियों में। - Dillagi Shayari

रूहों की रूहानियत में दिलों की दिल्लगी में, कहाँ इतना मज़ा है जनाब जो आँखों की गुस्ताखियों में।

Dillagi Shayari