दिल्लगी कर जिंदगी से ए दिल लगा के चल जिंदगी है थोड़ी हमेशा मुस्कुराते चल !

दिल्लगी कर जिंदगी से ए दिल लगा के चल जिंदगी है थोड़ी हमेशा मुस्कुराते चल !

Dillagi Shayari

करते रहे वो दिल्लगी न देखा कितनी दिल को लगी।

करते रहे वो दिल्लगी न देखा कितनी दिल को लगी।

क़दमों पे डर के रख दिया सर ताकि उठ न जाएँ नाराज़ दिल-लगी में जो वो इक ज़रा हुए!

क़दमों पे डर के रख दिया सर ताकि उठ न जाएँ नाराज़ दिल-लगी में जो वो इक ज़रा हुए!

मैंने तो इज़हार मोहब्बत का किया था, ना जाने क्यूँ तुमने दिल्लगी समझ लिया।

मैंने तो इज़हार मोहब्बत का किया था, ना जाने क्यूँ तुमने दिल्लगी समझ लिया।

मैं उसके प्यार में खो गया और मैं ऐसे ही खोना चाहता था और ये दिल्लगी मुझे कहाँ लेके जाएगी।

मैं उसके प्यार में खो गया और मैं ऐसे ही खोना चाहता था और ये दिल्लगी मुझे कहाँ लेके जाएगी।

बेईमान आँखों से भी कोई भा गया, देखो न मेरा दिल दिल्लगी पे आ गया।

बेईमान आँखों से भी कोई भा गया, देखो न मेरा दिल दिल्लगी पे आ गया।

तुम्हारी दिल्लगी देखो हमारे दिल पर भारी है तुम तो चल दिए हंसकर यहाँ बरसात जारी है!

तुम्हारी दिल्लगी देखो हमारे दिल पर भारी है तुम तो चल दिए हंसकर यहाँ बरसात जारी है!

इश्क़ से कुछ इस तरह साथ छुटा, की दिल्लगी भी अब बेगानी लगती है।

इश्क़ से कुछ इस तरह साथ छुटा, की दिल्लगी भी अब बेगानी लगती है।

माना दोस्त कि दिल्लगी तेरी फ़ितरत नहीं फ़िर वाबस्तगी मुझसे क्यों तेरी हसरत नहीं!

माना दोस्त कि दिल्लगी तेरी फ़ितरत नहीं फ़िर वाबस्तगी मुझसे क्यों तेरी हसरत नहीं!

रूहों की रूहानियत में दिलों की दिल्लगी में, कहाँ इतना मज़ा है जनाब जो आँखों की गुस्ताखियों में।

रूहों की रूहानियत में दिलों की दिल्लगी में, कहाँ इतना मज़ा है जनाब जो आँखों की गुस्ताखियों में।

बरसो बाद पता चला मुझे मेरी कहानी में, प्यार नही सिर्फ दिल्लगी थी।

बरसो बाद पता चला मुझे मेरी कहानी में, प्यार नही सिर्फ दिल्लगी थी।

यदि आप बदले में कुछ की उम्मीद करते हैं तो इसे प्यार नहीं व्यापार और दिल्लगी कहा जाता है।

यदि आप बदले में कुछ की उम्मीद करते हैं तो इसे प्यार नहीं व्यापार और दिल्लगी कहा जाता है।

इश्क हो गर तभी हाथ बढाना, दिल्लगी तो बहुत कर के चले गये।

इश्क हो गर तभी हाथ बढाना, दिल्लगी तो बहुत कर के चले गये।

कुछ पाबंदी भी लाज़मी है दिल्लगी के लिए किसी से इश्क़ अगर हो तो बेपनाह न हो !

कुछ पाबंदी भी लाज़मी है दिल्लगी के लिए किसी से इश्क़ अगर हो तो बेपनाह न हो !

 दिल्लगी करते है लोग, फिर भी दिल जलाते हैं, जब पराया ही करना होता हैं, तो अपना क्यों बनाते हैं।

दिल्लगी करते है लोग, फिर भी दिल जलाते हैं, जब पराया ही करना होता हैं, तो अपना क्यों बनाते हैं।

हम ने जाना था लिखेगा तू कोई हर्फ़ ऐ ‘मीर’ पर तेरा नामा तो इक शौक़ का दफ़्तर निकला !

हम ने जाना था लिखेगा तू कोई हर्फ़ ऐ ‘मीर’ पर तेरा नामा तो इक शौक़ का दफ़्तर निकला !

क्या हैं तुझमें ऐसा, तुझको ना भूल पांऊ, दिल्लगी की सजा हैं, बस यही सोचता हूं।

क्या हैं तुझमें ऐसा, तुझको ना भूल पांऊ, दिल्लगी की सजा हैं, बस यही सोचता हूं।

ये दिल्लगी ना जाने क्यों सताती है, हम तो इश्क करते हैं, ना जाने वो क्यूं तड़पाती है।

ये दिल्लगी ना जाने क्यों सताती है, हम तो इश्क करते हैं, ना जाने वो क्यूं तड़पाती है।

मेरी गहरी ख़ामोशी मैं सन्नाटा भी है शोर भी है तूने ठीक से देखा ही नहीं इन आँखों मैं कुछ और भी है।

मेरी गहरी ख़ामोशी मैं सन्नाटा भी है शोर भी है तूने ठीक से देखा ही नहीं इन आँखों मैं कुछ और भी है।