रिश्ते छूट रहे हैं लोगों को परवाह नहीं है मोबाइलों के अलावा कहीं निगाहें नहीं है सामने बैठकर घंटों मोन रहते है यूँ तो रिप्लाई आये ना तो चेहरे पे लाह नहीं है।
जो रूह की तन्हाई होती हैं ना, उसको कोई ख़त्म नही कर सकता।
ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है, ऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है इफ़्तिख़ार आरिफ़।
बिखरे अरमान, भीगी पलकें और ये तन्हाई, कहूँ कैसे कि मिला मोहब्बत में कुछ भी नहीं।
यादों की अर्थी तन्हाई का क़फ़न गम का तकिया, इंतज़ार तो सब हो गया बस नींद का आना बाक़ी हैं।
किस से कहु अपनी तन्हाई का आलम. लोग चहरें के हसी देख, बहुत खुश समझते हैं!
अपनी तन्हाई में खलल यूँ डालूँ सारी रात, खुद ही दर पे दस्तक दूँ और खुद ही पूछूं कौन?
तन्हाई में मुस्कुराना भी इश्क़ है और इस बात को सबसे छुपाना भी इश्क़ है।
चंद लम्हों के लिए एक मुलाक़ात रही, फिर ना वो तू, ना वो मैं, ना वो रात रही।
तन्हाई से तँग आकर हम मोहब्बत की तलाश मैं निकले थे. लेकिन मोहब्बत ऐसी मिली कि तनहा कर गयी।
तुम नहीं अब जहाँ में तनहा से हैं हम यहाँ बुला लो मुझे अपने जहाँ में दे न पाव तन्हाई का इम्तेहान।
ज़रा देर बैठे थे तन्हाई में तिरी याद आँखें दुखाने लगी "आदिल मंसूरी"।
तेरे बिना ये कैसे गुजरेंगी मेरी रातें, तन्हाई का गम कैसे सहेंगी ये रातें, बहुत लम्बी हैं ये घड़ियाँ इंतज़ार की, करवट बदल-बदल के कटेंगी ये रातें।
मुझे तन्हाई की आदत है, मेरी बात छोडो, तुम "बताओ" कैसी हो ?
मुश्किल की घडी जहन में उनका नाम आता है जमाना छोड़ देता है जब भी वो काम आता है।
इस तरह हम सुकून को महफूज़ कर लेते हैं, जब भी तन्हा होते हैं तुम्हें महसूस कर लेते हैं।
अब तो याद भी उसकी आती नहीं, कितनी तनहा हो गई तन्हाईयाँ ।
ए मेरे दिल, कभी तीसरे की उम्मीद भी ना किया कर, सिर्फ तुम और ''मैं'' ही हैं इस दश्त-ए-तन्हाई में!