कटी हुई टहनिया कहा पर छाव देती हैं, हद से ज्यादा उम्मीदें हमेशा घाव ही देती हैं। - Umeed Shayari

कटी हुई टहनिया कहा पर छाव देती हैं, हद से ज्यादा उम्मीदें हमेशा घाव ही देती हैं।

Umeed Shayari