हकीकत में खामोशी कभी भी चुप नहीं रहती कभी तुम ग़ौर ​से सुनना बहुत किस्से सुनाती है

हकीकत में खामोशी कभी भी चुप नहीं रहती कभी तुम ग़ौर ​से सुनना बहुत किस्से सुनाती है

Khamoshi Shayari

मोहब्बत नहीं थी तो एक बार समझाया तो होता, नादान दिल तेरी खामोशी को इश्क समझ बैठा।.

मोहब्बत नहीं थी तो एक बार समझाया तो होता, नादान दिल तेरी खामोशी को इश्क समझ बैठा।.

चलो अब जाने भी दो, क्या करोगे दास्ताँ सुनकर, ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं, और बयाँ हम से होगा नहीं.

चलो अब जाने भी दो, क्या करोगे दास्ताँ सुनकर, ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं, और बयाँ हम से होगा नहीं.

तेरी ख़ामोशी अगर तेरी मज़बूरी है तो रहने दे इश्क़ कौन सा जरुरी है!

तेरी ख़ामोशी अगर तेरी मज़बूरी है तो रहने दे इश्क़ कौन सा जरुरी है!

हम ख़ामोशी से देते हैं ख़ामोशी का जवाब कौन कहता हैं अब हम बात नहीं करते!

हम ख़ामोशी से देते हैं ख़ामोशी का जवाब कौन कहता हैं अब हम बात नहीं करते!

बड़ी ख़ामोशी से गुज़र जाते हैं हम एक दूसरे के करीब से फिर भी दिलों का शोर सुनाई दे ही जाता है

बड़ी ख़ामोशी से गुज़र जाते हैं हम एक दूसरे के करीब से फिर भी दिलों का शोर सुनाई दे ही जाता है

इश्क की राहों में जिस दिल ने शोर मचा रखा था बेवफाई की गलियों से आज वो खामोश निकला!

इश्क की राहों में जिस दिल ने शोर मचा रखा था बेवफाई की गलियों से आज वो खामोश निकला!

मेरी खामोशियों पर भी उठ रहे थे सौ सवाल, दो लफ्ज़ क्या बोले मुझे बेगैरत बना दिया..

मेरी खामोशियों पर भी उठ रहे थे सौ सवाल, दो लफ्ज़ क्या बोले मुझे बेगैरत बना दिया..

किताब सी शख्सियत दे ऐ मेरे खुदा सब कुछ कह दूँ खामोश रहकर !

किताब सी शख्सियत दे ऐ मेरे खुदा सब कुछ कह दूँ खामोश रहकर !

तेरी खामोशी अगर तेरी मजबूरी है तो रहने दे इश्क कौन सा जरुरी है !

तेरी खामोशी अगर तेरी मजबूरी है तो रहने दे इश्क कौन सा जरुरी है !

सारी दुनिया के रूठ जाने से मुझे कोई फर्क नहीं बस एक तेरा खामोश रहना मुझे तकलीफ देता है !

सारी दुनिया के रूठ जाने से मुझे कोई फर्क नहीं बस एक तेरा खामोश रहना मुझे तकलीफ देता है !

क्यों करते हो मुझसे इतनी ख़ामोश मोहब्बत, लोग समझते हैं इस बदनसीब का कोई नहीं !

क्यों करते हो मुझसे इतनी ख़ामोश मोहब्बत, लोग समझते हैं इस बदनसीब का कोई नहीं !

दर्द हद से ज्यादा हो तो आवाज छीन लेती है ऐ दोस्त कोई खामोशी बेवजह नहीं होती है !

दर्द हद से ज्यादा हो तो आवाज छीन लेती है ऐ दोस्त कोई खामोशी बेवजह नहीं होती है !

पता है मजबूर है तू और मै भी फिर भी आंखें तेरे दीदार को तरसती है !

पता है मजबूर है तू और मै भी फिर भी आंखें तेरे दीदार को तरसती है !

कभी ख़ामोशी बनते हैं कभी आवाज बनते है हर तन्हाई के साथी मेरे जज्बात बनते हैं !

कभी ख़ामोशी बनते हैं कभी आवाज बनते है हर तन्हाई के साथी मेरे जज्बात बनते हैं !

बड़े ही पक्के होते हैं सच्ची दोस्ती के रंग ज़िंदगी के धूप में भी उड़ा नहीं करते !

बड़े ही पक्के होते हैं सच्ची दोस्ती के रंग ज़िंदगी के धूप में भी उड़ा नहीं करते !

कुछ तो है हमारे बीच में, वरना तू खामोश ना होता, और मैं तेरी खामोशी पढ़ नहीं रही होती !

कुछ तो है हमारे बीच में, वरना तू खामोश ना होता, और मैं तेरी खामोशी पढ़ नहीं रही होती !

मंज़िलें चाहे कितनी भी ऊँची क्यों न  हों उनके रास्ते हमेशा पैरों के नीचे से ही जाते हैं!

मंज़िलें चाहे कितनी भी ऊँची क्यों न हों उनके रास्ते हमेशा पैरों के नीचे से ही जाते हैं!

ख्वाहिशों से नहीं गिरते हैं फूल झोली में, कर्म की शाख को हिलाना होगा।

ख्वाहिशों से नहीं गिरते हैं फूल झोली में, कर्म की शाख को हिलाना होगा।