अकसर वही लोग हम पर उँगलीया उठाते हैं, जिनकी मुझसे बात करने की औकात न हैं। - Matlabi Shayari

अकसर वही लोग हम पर उँगलीया उठाते हैं, जिनकी मुझसे बात करने की औकात न हैं।

Matlabi Shayari