खबर को दुरुस्त होने का हर मौका देता हूँ, मैं अख़बार भी शाम को फुर्सत से पढ़ता हूँ। - Akhbaar Shayari

खबर को दुरुस्त होने का हर मौका देता हूँ, मैं अख़बार भी शाम को फुर्सत से पढ़ता हूँ।

Akhbaar Shayari