ज़रा सी चाय गिरी और दाग़ दाग़ वरक़, ये ज़िंदगी है कि अख़बार का तराशा है! - Akhbaar Shayari

ज़रा सी चाय गिरी और दाग़ दाग़ वरक़, ये ज़िंदगी है कि अख़बार का तराशा है!

Akhbaar Shayari